शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

संजीविनी वशीकरण

वशीकरण संजीवनी प्रयोग
किसी को भी वश मे किया जा सकता है, चाहे कोई भी हो |
समय → २:०० PM
→ दिन को लाल वस्त्र पर "वशीकरण यंत्र" रखकर पूजन करे |
→ दीपक - तेल |
→ दिशा -- उत्तर/पूर्व कोई भी|
→माला -- मूंगा/हकीक माला |
→वस्त्र और आसन -- पीली |
मंत्र :→ ॥ॐ कात्यायनी अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु फट्॥
mantra : ||
→ १०१ जाप माला |
अगर उस दिन ये साधना नहीं कर पाए तो निचे के नियम आपनाये:
किसी को भी वश मे किया जा सकता है, चाहे कोई भी हो |
समय → पंचमी से सप्तमी , चाहे कोई भी पक्ष की हो → केवल ३ दिन
→ रात को लाल वस्त्र पर "वशीकरण यंत्र" रखकर पूजन करे |
→ दीपक - तेल |
→ दिशा -- उत्तर/पूर्व कोई भी|
→माला -- मूंगा/हकीक माला |
→वस्त्र और आसन -- पीली |
→ १०१ जाप माला नित्य |
→ जब इसका प्रयोग करे तो
१)मिठ्ठाई या २)पान या ३)सुपारी
पर " अमुकं " के जगह नाम ले कर दोपहर या रात तो ११ से १२ के बीच मंत्र की १ (एक) माला खड़े-खड़े जाप करके २४ घण्टे मे खिला दे |
सिद्ध प्रभावशाली चाहे कोई भी हो |

बह्ममा कुमारी आश्रम लखनऊ
सुदीप कुमार

बुधवार, 20 सितंबर 2017

नवरात्र पूजन

माता दुर्गा वैसे तो अपने बच्चो के समान भक्तो का सदैव ख्याल रखती है, परन्तु यदि नवरात्रो के दिन माता को पूजा जाए तो भक्तो पर उनकी विशेष कृपा बरसती है.

ज्योतिषानुसार भी नवरात्र के दौरान कुछ विशेष उपाय द्वारा माता की पूजा की जाए तो वह अत्यधिक फलदायी मानी गयी है तथा इसका प्रभाव शीघ्र देखने को मिलता है.

इसका कारण यह है नवरात्रो के विशेष दिनों में माता का निवास स्थान पृथ्वी होता है, अतः धरती में जहां जहां माता की मुर्तिया सजाई एवम स्थापित करि होती है उनमे साक्षात माता का निवास होता है.

अतः इस दिन माता प्रत्यक्ष भक्तो की पूजा को स्वीकार करती है, तथा उन पर अपनी कृपा बरसाती है.

इसलिए आज हम आपके लिए नवरात्र पूजन से सम्बन्धित कुछ छोटे परन्तु बेहद प्रभावकारी उपाय लेकर आये है. यदि इन उपायो को आप नवरात्रि से पहले अपनाये तो माता दुर्गा आपके घर को सुख एवम धन दौलत से भर देंगी.

माता के आगमन को लेकर ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष नियम बतलाये गए है. जिनके अनुसार हर दिशा में देवी देवताओ का अपना विशेष स्थान होता है. इसलिए विभिन्न देवी-देवताओं के क्षेत्र के लिए जो दिशा निर्धारित हो, उनकी पूजा उसी दिशा में होनी चाहिए इससे पूजा पूर्ण फलदायी होती है.
प्राचीन युग से यह मान्यता चली आई है की माता दुर्गा का जो क्षेत्र है वह दक्षिण दिशा है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि माता की पूजा करते समय हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा में ही रहे.

पूर्व दिशा की ओर मुख करके मां का ध्यान पूजन करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है जब‌क‌ि दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से मानसिक शांति मिलती है और हमारा सीधा जुड़ाव माता से होता है .

माता की प्रसन्नता की कामना रखने वालों को पूजन सामग्री दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाह‌िए . इस कमरे में हल्के पीला, हरा या फिर गुलाबी रंग होना वास्तु के अनुसार शुभ फलदायी होता है क्योंक‌ि इससे पूजा कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

कई बार पूजा करते समय अचानक ही ध्यान भटकने लगता है . इस समस्या से बचने के ल‌िए घर के उत्तर-पूर्व द‌िशा में प्लास्टिक या लकड़ी से बने पिरामिड रख सकते हैं . पिरामिड रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि पिरामिड नीचे से खोखला हो .

समय :- वास्तुशास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में मंदिरों और घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पूर्व हल्दी से या फिर सिंदूर से स्वातिस्क का प्रतीक चिन्ह बनाए जाने का न‌ियम है. इसल‌िए पूजन शुरु करने से पहले स्वास्त‌िक जरूर बनाएं .
नवरात्रों में सबसे अहम माता की चौकी होती है. जिसे शुभ मुहूर्त देखकर लगाया जाता है. माता की चौकी लगाना के लिए भक्तों के पास 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का समय है

21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा 
- 22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 
- 23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा 
- 24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा 
- 25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा 
- 26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा 
- 27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
- 28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा 
- 29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा
- 30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा

कन्या पूजन करते समय ये बातें ध्यान रखेंगे तो नवरात्र के मनोरथ सिद्ध होंगे. नौ कन्याओं और एक लांगुरे को आमंत्रित करें. लांगुरे को माता के रक्षक हनुमान के रूप में बुलाया जाता है. याद रहे कि लांगुरे के बिना कन्या पूजन अधूरा रहेगा. सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाए। उनके हाथों में मौली यानी कलावा बांधें और माथे पर रोली से टीका लगाएं.

बह्मा कुमारी आश्रम
लखनऊ
सुदीप

गुरुवार, 29 जून 2017

वस्त्र वशीकरण

राम राम भाइयो आज एक फिर वशीकरण प्रोयग दे रहा हो वस्त्र द्वारा
जिसका उपयोग सिर्फ आवश्यकता पड़ने पर ही करे 
किसी स्त्री या पुरुष के अधोवस्त्र या उसके बाये पैर का मौजा लेकर उसे खरल में कुटे इस समय मन्त्र जाप करते रहे इसे इतना कुटे कि उसका रेशा रेशा हो जाये इसमें शिरीन से अपनी अनामिका ऊँगली का रक्त मिलाये कुछ बून्द फिर 5 लौंग मंत्र पढ़ कर डाले  फिर इसे पुनः कुटे

0 इस प्रकार इस वस्त्र के रेशे बनाकर इसकी बत्ती बनाये और चमेली के तेल में डाल दे  फिर गेहू के आटे से भैरवी चक्र बनाये  इसके मध्यम में दीपक प्रज्वलित करे उस वस्त्र से यही पे इसकी फ़ोटो भी रखे

0 फिर ज्योत की लौ को देखते हुए मन्त्र जाप करे  5 दिन1188 मन्त्र जाप होगा 

0 6 दिन जो भी बचा सामान ह सब किसी ऐसे निम् की जड़ में दबाना ह जिसकी पूजा नही होती हो  उसी रात्रि से दूसरे पहर के बाद उस पेड़ के पास जा कर मन्त्र जाप चले गा ये 25 मिनट जाप होगा सुबह होते ही आपको यहाँ अपना पहला मूत्र त्याग करना होगा  ऐसा 21 +5 दिन करने से कैसा भी हठ वाला मनुष्य क्यों ना हो उसका पूर्ण रूप से वशीकरण हो जाता ह इसमें कोई सन्देह नही ह

मन्त्र पूर्ण नही ह समपर्क करने पर ही दिया पूर्णमन्त्र दिया जाये गा

मोहिनी कामिनी वश में कर डाकिनी ।
तन बाँधा मन बाँधा ...... बाँधा काकिनी ।।
प्रीति भीति दिति भीति डाल डाल ......।।
आये वह तोड़ बन्धन ...............हाकिनी

ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ

शुक्रवार, 23 जून 2017

तांत्रिक वनस्पति प्रोयग 2

राम राम  सभी को सुदीप का कुछ समय पहले यहाँ पे मेने एक भाई द्वारा पूछे गये वनस्पति अनुष्ठान के बारे में बता रहा जिसको ये जानना था की कोई गाव की स्त्री या तांत्रिक ओझा किस प्रकार से वनस्पतियो द्वारा पस्तकर्म करते ह या यहाँ से शक्तिया चलाते ह ये आप भी कर सकते ह बस सभी कर्मो से सुध होना जरुरी ह और यहाँ पे सबसे जरुरी भाव और विश्वास ह क्योंकि ये ही हमारी सरीर की तरंग ह जो की हमे सही दरवाजे तक पहुचाती ह  अब बात करते ह अनुष्ठान की तो 21 से 31 दिन में ही ये अनुष्ठान पूर्ण रूप से सफल हो जाए गा मगर आपका कर्म ये होना चाहिये की उस पेड़ को कुछ ना हो साथ ही आप उसकी देख भाल करते रहे
आज में आपको ऐसे रूद्र पेड़ के बारे में बताओ गा जिसको सायद आप किसी ना किसी रूप में पूजते ह  पीपल का पेड़ आज भी गावो में यह मान्यता है की पीपल पर भुत प्रेत रहते ह और ओझा स्त्री तांत्रिक आदि पीपल निम् बरगद की सीद्धि कर के उसे चलाते ह वस्तुतः 
पीपल के पत्तो से जो तरंग उतपन होती ह वे बेहद शक्तिशाली और त्रीव तीक्षण वेगवान होती ह  यह कारण है की गावो के ओझा और ऐसि औरत तन्त्र मन्त्र की सिद्धि का अभ्यास करती ह उन्हेंअक्सर अपना माध्यम बनाती ह क्योंकि इनकी तरंगो की गति से ही वे अपनी सक्ति की सिद्धि करती है इसलिए तन्त्र की गोपनीय साकेतिक भासा में इसे चलाना कहते ह
0 कोई 2 साल पुराना पेड़  की जड़ के चारो ओरथोड़ा कोड़ के मिट्टी हल्की कर दे
दायरा सात हाथ की त्रिज्या में ले इसके चारो ओर ऊची मेढ़ बना ले ताकि जल ना बह जाये 
           
अश्वत्थाय वरेण्याय सर्वैश्वर्यदायिने 
अनन्तशिवरुपाय वृक्षराजाय ते नमः

0 सोमवार के सुबह से 21 मन्त्र पढ़ते हुए  बड़े लौटा से पानी डाले पेड़ को प्रणाम करके घर लौट जाए ऐसा सात दिन तक करे आठवे दिन सोमवार को ढाई हाथ भूमि नापकर उत्तर की ओर मुख करके आसन लगाये और दक्षिण तरफ की भूमि गाय के गोबर से लिप ले जड़ में पानी इस दिन भी दे  यहाँ पे आपको अपनी श्रद्धा अनुसार धुप दिप करना ह और चावल आदि का भोग लगाना ह 

0 अब प्रतिदिन रात्रि के पहर से साधना चालो होगी  और मन्त्र जाप 21 रात्रि तक 1188 मन्त्र का जाप अनिवार्य ह और रोज सुबह बीते हुए दिन जैसे पानी देना ह

0 मन्त्र अधूरा ह मागने पर मिलेगा पर पूर्ण रूप से जानकारी देने पर ही मन्त्र दिया जाए गा

ॐ (यहां पे ॐ की ध्वनि लम्बी साँस तक खिची जाए गी) नमः पीपल: देवदूत .....ममपठच्छतिय..... आगछसः.... देवदूत 

0 21रात्रि की साधना करने के बाद इस पेड़ पर रहने वाली सात्विक रूप के देव के सेवक  आप से सिध्द हो जाए गे  एक  बार मन्त्र सिद्ध होने पर वही पीपल आपका मित्र बन जाएगा  आप उसे लगातार भले ही थोडासा पानी देते रहे 

0 इससे आप जब भी जो भी कामना करेगे वह अपनी तरंगो के द्वारा आपके लिए अनुकूल वातावरण बनाये गा और किसी भी प्रकार से मन्त्र शक्तिकम हो रही हो तो ये उसको  अपनी तरंगो से मेल करके उसको शक्तिशाली बनाये गा

अब इसके प्रोयग  इस प्रकार ह

1 इस वृक्ष के पास बैठकर सनिवार इतवार जिस नारी के बाल या अधोवस्त्र का अपनी अनामिका ऊँगली के रक्त के साथ 108 मन्त्र से हवन करेगे  वह आपके वश में होगी

2 इस व्रक्ष की पूजा जिस नारी या पुरुष से करवाये गे वह् आपके वश में होगा

3 इस की जड़ में जिस नारी पुरुष के बाल नख मासिक रक्त अधोवस्त्र गाडगे वह् आपके प्रति वशीभूत होगा (महाअभिमंत्रित) करने पर

4 यहाँ बैठकर केवल ध्यान लगाकर किसी की नारी पुरुष की कामना करेगे और आपका मन उस पर पूर्ण एकागर  वह् आपके वश में होगा

0 यहां किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रोयग नही किया जाए गा चाहे वो खाद ही क्यों ना हो

0 ऐसे ही इस पेड़ द्वारा कई कार्य होते ह यहाँ पर मुझसे वशीकरण के बारे में पूछा था तो बता दिया  मगर  एक ही पेड़ द्वारा सभी पस्तकर्म कर सकते ह बस विधि और मन्त्र में कुछ अंतर है

राम राम
ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ

गुरुवार, 15 जून 2017

तांत्रिक वनस्पति प्रोयग 1

राम राम भाइयो मै ता0 सुदीप आज फिर कुछ दिनों बाद आज एक दिव्य सिद्धि प्रोयग लाया हो जिसको आप लोग कुछ समय देकर सफल कर सकते ह  मगर एक बात जरूर कहो गा की मेरे पास जितने फोन आते वो सब मेल करवाने वाले आते ह की हमारा इनसे मेल करवा दो उनसे मेल करवा दो  अब मेरी सोच यहा आ कर रुक जाती की बस जिंदगी में तरिकी नही मनुष्य को सिर्फ दो जोड़े का मेल चाहिये ना उसको तरिकी चाहिए ना ही कुछ लक्ष्य वो सिर्फ माया में घूमता रहता ह यहाँ पे मनुष्य जो की कठिन प्रकति का रूप था अब वो किसी ना किसी के भरोसे पे जीता रहता ह और जब वो चीज उससे हठ जाती ह तो जैसे बादल फटने पर सारा पानी फ़ैल जाता ह उसी प्रकार मनुष्य भी अपने दिमाग में बहुत रूद्र चीजे भर लेता ह और वो कर्म वो कर ही देता ह जिसके कारण उसका अहित होता ह। यहाँ पर मै आपको ये समझाने की कोशिश कर रहा हो की जादा लगाव उसको गिरा देता ह या उच्च रास्ते पर पहुँचा देता ह मनुष्य जिस तत्व का ह उसको उसी प्रकार से कर्म करना चाहिये अब बात करते ह  अपने कर्म की तो एक भाई ने बहुत झाहलत द्वारा मुझसे बात पूछ ली की गाव में जो औरत होती ह वो पेड़ द्वारा शक्तियो को कैसे चलाती ह और वो पस्तकर्म के सारे कर्म एक पेड़ द्वारा कैसे कर लेती ह तो  उसको मेने अपने गुरुदेव का नाम ले कर बताया की
यदि हम किसी वनस्पति की सगरचना पर गौर करे तो हम यह देखकर विस्मय होगा की उसका भी सारीरिक आकृति हमारे ही जैसी होती ह हमारे जहाँ हाथ होते ह जहाँ पैर होते ह और कमर की हड्डी होती ह वहां ऊपरी जड़े होती ह जानवर की पूछ की भाति उनकी भी जड़ निचे तक चली जाती ह और वहा बालो के गुच्छे की तरह जड़े होती ह सिर की कोशिकाओ के स्थान पर उसके पत्ते होते ह
इनकी जो जड़े ऊपर होती हे वे ही धनात्मक हे और तमाम तत्वों को वो ही खीच कर पौधे तक पहुचाति ह जो जड़ निचे चली जाती है वह वह तन्त्र विद्या के अनुसार श्ररणात्मक होती ह 
इनके बिच वाली जड़ इनके सरीर के गंदे अवशेष रूप तरंगो को बाहर करती ह और किनारे वाली जड़े जल की कमी होने पर जल शोषित करके ऊपर पहुचाति है।

० भूमि के समान्तर जो जड़े होती ह  पौधे को आवश्यक पोषण तत्वों की आपूर्ति उन्ही से होती ह

0सभी जीवो की रात के समय बायीं और दिन के समय दायीं नासिका सक्रीय रहती है यह पेड़ पौधे में भी होती ह  यही कारण है उसमे रात में निकलने वाली गैस में अंतर हो जाता है इनके तरंगो में मौसम और समय के अनुसार परिवतन होता रहता ह 

०यह परिवर्तन पत्र्येक जिव में होता है इसलिए जब किसी पेड़ को आधार बनाकर तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता तो कामना  या देवी देवता के अनुरूप समय का चुनाव किया जाता ह    

किसी भी तंत्रक्रिया को करने वाले की उस पर आस्था होना आवश्यक है क्योंकि आस्था के बिना तरंगों का केन्द्रीयकरण नही होता और तन्त्र के प्रोयग सफल नही होते  इसलिए यहां हमने पौधे की तांत्रिक सगरचना और उसके रहशय को बताया है  ताकि प्रोयगकर्ता के मन में अपने प्रोयगो के प्रति कोई शंका ना रहे

०अगली पोस्ट में आपको विभिन्न तांत्रिक पेड़ और उनकी रूद्र शक्तियो और इनके प्रोयग के बारे में बताये गे

ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ

सोमवार, 22 मई 2017

महा भवमोहिनी तिलक

राम राम भाइयो मै ता0 सुदीप आज आपके समक्ष 1 दिव्य प्रोयग लाया हो जो की किसी साधक ने पूछा था की जब हम किसी से बात ना कर सके या कुछ खिला ना सके या उसकी कोई भी वस्तु प्राप्त ना हो सके तो किस प्रकार सामने वाले आदमी को अपने प्रति प्रेम में लाय तो आज मै ये बताओ गा की किस प्रकार से अपने सामने वाले आदमी को आकषण में लाना ह इसी विधि से किसी विशेष व्यक्ति पे वार भी कर सकते ह ऑफिस घर वग्रहा में भी इसका इस्तमाल कर सकते ह आईये जानते ह कैसे तैयार होता ह विशेष सौम्य तरंग जो भी देखे ठण्डा हो जाए
इसकी 1 दिन की विशेष विधि ह जिसमे आपको कुछ अधिक समय देना होगा क्योंकि कुछ रूद्र औषधियों का अर्क निकालना ह 
सामग्री:  
1 काँसे  का छोटा बर्तन
2 गुलाब का इत्र
3अनार की जड़ (कोई मूल नक्षत्र नही)
4 नागकेसर का अर्क
5 मदार की जड़ (कोई मूल नक्षत्र नही)

अनार की जड़ को अपने घर के खरल में घोटे गे उसमे से जो पानी निकले गा उसको 1 शीशी में डाल किनारे करे गे

केसर को छोटे से बर्तन में डाल के उसमे पानी डाल उसका सारा पानी जला दे और बचा हुआ सामान ह उसको 2 सीसी में किनारे करे

गुलाब का आछा इत्र प्रोयग करे जिसमे 55 प्रतिसत तक सुध हो

मदार यह पे जड़ को कूट पीस कर 1 कहाड़ी में डाल के चौथाई इस्सा पानी डाले इस पानी को जलने दे जब जल जल के पानी 250gm बच् जाए तो सीसी में निकाल किनारे करे

किसी आछे दिन का इन्तजार करे पूर्णमासी अमावस्या या कोई भी मूल नक्षत्र हो इसमें आपको शांत चित बैठ मन्त्र जाप करना ह

काँसे के बर्तन में केसर के अर्क को छोड़ कर सब सामान को मिला ले रात्रि में 1188 मन्त्र से अभिमन्त्रित कर ले  जब प्रोयग करना ह तो केसर का बचा सामन लेकर उसमे मिक्स कर प्रोयग करना ह 
इस तिलक को लगाने की विधि
1 तिलक आपके आज्ञा चक्र में स्तापित होगा 2     3   आपके कंधे के कोनो पे स्तापित होगा

मन्त्र अधूरा ह  पूर्ण जानकारी पर ही पूर्ण मन्त्र मिले गा

ॐ नमः रुद्राय काल भैरवाय स्वेत रूपा स्वेत............वशीभूत कुरु कुरु .........स्वाहा

अगली पोस्ट में आपको बताओ गा की कोण सा रासायनिक प्रोयग ह जिसमे बाल डालते ही उसका वशीकरण हो चाहे कितनी दूर ही वकयति क्यों ना हो

ता0सुदीप
बहमा कुमारी आश्रम
लखनऊ

शनिवार, 8 अक्टूबर 2016

सभी कर्म को जिताने वाला 1 यन्त्रराज


राम राम भाइयो मे ता0सुदीप आज आपको महामाया यन्त्र राज के बारे मे बताने जा रहा हो जिसको सिर्फ 1 प्रोयग कर सफल किया जासकता है  और बुद्धि अनुसार प्रोयग करने पर कोई भी आपको परास्त नही कर पाये गा ऐसा मेरे द्वारा निर्माण कर लोगो ने पहन खुद कई अचम्भव बाते बताइ ह मे कुश हो की मेरे द्वारा दिए गए लोगो के काम  पूरा हो रहा ह इसलिये जनहित के लिए पूरे विधि विधान द्वारा आप को दे रहा हो इसलिए इसका उपयोग कर लाभ उठाये नौकरी में प्रमोशन का विषय होघर का विवाद सुलझाना होपत्नी या पति को अनुकूल बनाना होघर का कोई सदस्य गलत मार्ग पर जा रहा हो, और उसे सही मार्ग पर लाना होव्यवसाय का कोई महत्वपूर्ण सहमती पत्र चाहिएनौकरी के लिए साक्षात्कार में सफलता पाना होपड़ोसियों को अपने अनुकूल बनाना होसमाज और खेल में प्रतिष्ठा अर्जित करनी हो सभी काम मे उपयोग करे

कृष्ण पक्ष के किसी भी शुक्रवार से इस साधना को प्रारंभ करके अगले शुक्रवार तक करना है. समय रात्रि का मध्यकाल होगा. लाल वस्त्र,और लाल आसन प्रयोग करना है .पश्चिम दिशा की और मुखकरके मंत्र जप होगा.सिद्धासन या वज्रासन का प्रयोग करना ह

जमीन को पानी से धोकर साफ़ कर लीजिए और उस पर एक त्रिकोण जो अधोमुखी होगा कुमकुम से उसका निर्माण कर लीजिए. यन्त्र नीचे दीगयी आकृति के समान ही बनेगा. मध्य में एक मिटटी काऐसा पात्र स्थापित होगा, जिसमे अग्नि प्रज्वलित हो रही होगी. यन्त्र निर्माण के बाद सद्गुरुदेव तथा भगवान गणपति का पूजन होगा. और ठीक इसी प्रकार 1 शुद्ध भोज पत्र पर अपना नाम सहित यन्त्र बने गा और भोज पत्र का यन्त्र उसी अग्नि के नीचे रखा जाये गा

पूजन के पश्चात हाथ में जल लेकर माया शक्ति की प्राप्ति का संकल्प तथा विनियोग करना है और निम्न ध्यान मंत्र का ७ बार उच्चारण करना है

विनियोग 

अस्य माया मन्त्रस्य परब्रम्ह ऋषिः त्रिष्टुप छन्दः परशक्ति देवता पुष्कर बीजं माया कीलकं पूर्ण माया प्रयोग सिद्धयर्थे जपे विनियोगः

धयान लगाये

तापिच्छ-नीलां शर-चाप-हस्तां सर्वाधिकाम् श्याम-रथाधिरुढाम्Iनमामि रुद्रावसनेन लोकां सर्वान् सलोकामपि मोहयंतिम्II

ध्यान मंत्र के बाद देवी का पूजन कुमकुम से रंगे अक्षतों और लाल जवा पुष्पों से करना है,गूगल की धुप और तेल का दीपक प्रज्वलित करना है. नैवेद्य में खीर अर्पित कर दे . और त्रिकोण के प्रत्येक कोनों पर एक-एक धतूरे का फल स्थापित कर द

ह्रीं” बीज से २१ बार प्राणायाम करे ,और इसके बादगूगल,लोहबान मिलाकर मूल मन्त्र बोलते हुए यन्त्र के मध्य में स्थापित अग्निपात्र में सूकरी मुद्रा से आहुति दे. इस प्रकार २१६ मन्त्र का उच्चारण करते हुए आहुति दें.  और जप के बाद ध्यान मंत्र का पुनः ७ बार उच्चारण करें. खीर को कही एकांत स्थान पर पत्तल में डाल कर रख दें.

मन्त्र   

ओं ह्रीं भू: ह्रीं भुवः ह्रीं स्वः ह्रीं शिवान्घ्री युग्मे विनिविष्टचित्तं सर्वेषां दृष्टयो हृदयस्य बालम् रिपुणाम् निद्रां विवशम् करोति महामाये मां परिरक्ष नित्यं ह्रीं स्वः ह्रीं भुवः ह्रीं भू: ओं स्वाहाII

यही क्रम आपको आगामी शुक्रवार तक नित्य करना है. और भोज पत्र पर बना हुआ यन्त्र किसी चांदी की त्रिमुख वाली मे पहन ले  
इसके बाद जब भी आपको किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाना हो , मन्त्र को ७ बार बोलकर हाथो पर फूक मार ले और हाथ को पूरे शरीर पर फेर ले. आप खुद ही प्रभाव देखकर आश्चर्यचकित हो जायेगे. 

अगर आप इस ताबीज को सिद्ध ना कर पाये तो हमसे अपने नाम द्वारा सिद्ध करा के पहन सकते ह  जरूर लाभ उठाये आप लोग  किसी भी  छेत्र मे

तांत्रिक सुदीप
बह्मम कुमारी आश्रम
लखनऊ