गुरुवार, 15 जून 2017

तांत्रिक वनस्पति प्रोयग 1

राम राम भाइयो मै ता0 सुदीप आज फिर कुछ दिनों बाद आज एक दिव्य सिद्धि प्रोयग लाया हो जिसको आप लोग कुछ समय देकर सफल कर सकते ह  मगर एक बात जरूर कहो गा की मेरे पास जितने फोन आते वो सब मेल करवाने वाले आते ह की हमारा इनसे मेल करवा दो उनसे मेल करवा दो  अब मेरी सोच यहा आ कर रुक जाती की बस जिंदगी में तरिकी नही मनुष्य को सिर्फ दो जोड़े का मेल चाहिये ना उसको तरिकी चाहिए ना ही कुछ लक्ष्य वो सिर्फ माया में घूमता रहता ह यहाँ पे मनुष्य जो की कठिन प्रकति का रूप था अब वो किसी ना किसी के भरोसे पे जीता रहता ह और जब वो चीज उससे हठ जाती ह तो जैसे बादल फटने पर सारा पानी फ़ैल जाता ह उसी प्रकार मनुष्य भी अपने दिमाग में बहुत रूद्र चीजे भर लेता ह और वो कर्म वो कर ही देता ह जिसके कारण उसका अहित होता ह। यहाँ पर मै आपको ये समझाने की कोशिश कर रहा हो की जादा लगाव उसको गिरा देता ह या उच्च रास्ते पर पहुँचा देता ह मनुष्य जिस तत्व का ह उसको उसी प्रकार से कर्म करना चाहिये अब बात करते ह  अपने कर्म की तो एक भाई ने बहुत झाहलत द्वारा मुझसे बात पूछ ली की गाव में जो औरत होती ह वो पेड़ द्वारा शक्तियो को कैसे चलाती ह और वो पस्तकर्म के सारे कर्म एक पेड़ द्वारा कैसे कर लेती ह तो  उसको मेने अपने गुरुदेव का नाम ले कर बताया की
यदि हम किसी वनस्पति की सगरचना पर गौर करे तो हम यह देखकर विस्मय होगा की उसका भी सारीरिक आकृति हमारे ही जैसी होती ह हमारे जहाँ हाथ होते ह जहाँ पैर होते ह और कमर की हड्डी होती ह वहां ऊपरी जड़े होती ह जानवर की पूछ की भाति उनकी भी जड़ निचे तक चली जाती ह और वहा बालो के गुच्छे की तरह जड़े होती ह सिर की कोशिकाओ के स्थान पर उसके पत्ते होते ह
इनकी जो जड़े ऊपर होती हे वे ही धनात्मक हे और तमाम तत्वों को वो ही खीच कर पौधे तक पहुचाति ह जो जड़ निचे चली जाती है वह वह तन्त्र विद्या के अनुसार श्ररणात्मक होती ह 
इनके बिच वाली जड़ इनके सरीर के गंदे अवशेष रूप तरंगो को बाहर करती ह और किनारे वाली जड़े जल की कमी होने पर जल शोषित करके ऊपर पहुचाति है।

० भूमि के समान्तर जो जड़े होती ह  पौधे को आवश्यक पोषण तत्वों की आपूर्ति उन्ही से होती ह

0सभी जीवो की रात के समय बायीं और दिन के समय दायीं नासिका सक्रीय रहती है यह पेड़ पौधे में भी होती ह  यही कारण है उसमे रात में निकलने वाली गैस में अंतर हो जाता है इनके तरंगो में मौसम और समय के अनुसार परिवतन होता रहता ह 

०यह परिवर्तन पत्र्येक जिव में होता है इसलिए जब किसी पेड़ को आधार बनाकर तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता तो कामना  या देवी देवता के अनुरूप समय का चुनाव किया जाता ह    

किसी भी तंत्रक्रिया को करने वाले की उस पर आस्था होना आवश्यक है क्योंकि आस्था के बिना तरंगों का केन्द्रीयकरण नही होता और तन्त्र के प्रोयग सफल नही होते  इसलिए यहां हमने पौधे की तांत्रिक सगरचना और उसके रहशय को बताया है  ताकि प्रोयगकर्ता के मन में अपने प्रोयगो के प्रति कोई शंका ना रहे

०अगली पोस्ट में आपको विभिन्न तांत्रिक पेड़ और उनकी रूद्र शक्तियो और इनके प्रोयग के बारे में बताये गे

ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ

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