माता दुर्गा वैसे तो अपने बच्चो के समान भक्तो का सदैव ख्याल रखती है, परन्तु यदि नवरात्रो के दिन माता को पूजा जाए तो भक्तो पर उनकी विशेष कृपा बरसती है.
ज्योतिषानुसार भी नवरात्र के दौरान कुछ विशेष उपाय द्वारा माता की पूजा की जाए तो वह अत्यधिक फलदायी मानी गयी है तथा इसका प्रभाव शीघ्र देखने को मिलता है.
इसका कारण यह है नवरात्रो के विशेष दिनों में माता का निवास स्थान पृथ्वी होता है, अतः धरती में जहां जहां माता की मुर्तिया सजाई एवम स्थापित करि होती है उनमे साक्षात माता का निवास होता है.
अतः इस दिन माता प्रत्यक्ष भक्तो की पूजा को स्वीकार करती है, तथा उन पर अपनी कृपा बरसाती है.
इसलिए आज हम आपके लिए नवरात्र पूजन से सम्बन्धित कुछ छोटे परन्तु बेहद प्रभावकारी उपाय लेकर आये है. यदि इन उपायो को आप नवरात्रि से पहले अपनाये तो माता दुर्गा आपके घर को सुख एवम धन दौलत से भर देंगी.
माता के आगमन को लेकर ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष नियम बतलाये गए है. जिनके अनुसार हर दिशा में देवी देवताओ का अपना विशेष स्थान होता है. इसलिए विभिन्न देवी-देवताओं के क्षेत्र के लिए जो दिशा निर्धारित हो, उनकी पूजा उसी दिशा में होनी चाहिए इससे पूजा पूर्ण फलदायी होती है.
प्राचीन युग से यह मान्यता चली आई है की माता दुर्गा का जो क्षेत्र है वह दक्षिण दिशा है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि माता की पूजा करते समय हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा में ही रहे.
पूर्व दिशा की ओर मुख करके मां का ध्यान पूजन करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है जबकि दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से मानसिक शांति मिलती है और हमारा सीधा जुड़ाव माता से होता है .
माता की प्रसन्नता की कामना रखने वालों को पूजन सामग्री दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए . इस कमरे में हल्के पीला, हरा या फिर गुलाबी रंग होना वास्तु के अनुसार शुभ फलदायी होता है क्योंकि इससे पूजा कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
कई बार पूजा करते समय अचानक ही ध्यान भटकने लगता है . इस समस्या से बचने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा में प्लास्टिक या लकड़ी से बने पिरामिड रख सकते हैं . पिरामिड रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि पिरामिड नीचे से खोखला हो .
समय :- वास्तुशास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में मंदिरों और घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पूर्व हल्दी से या फिर सिंदूर से स्वातिस्क का प्रतीक चिन्ह बनाए जाने का नियम है. इसलिए पूजन शुरु करने से पहले स्वास्तिक जरूर बनाएं .
नवरात्रों में सबसे अहम माता की चौकी होती है. जिसे शुभ मुहूर्त देखकर लगाया जाता है. माता की चौकी लगाना के लिए भक्तों के पास 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का समय है
21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा
- 22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा
- 24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा
- 25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा
- 26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा
- 27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
- 28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा
- 29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा
- 30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा
कन्या पूजन करते समय ये बातें ध्यान रखेंगे तो नवरात्र के मनोरथ सिद्ध होंगे. नौ कन्याओं और एक लांगुरे को आमंत्रित करें. लांगुरे को माता के रक्षक हनुमान के रूप में बुलाया जाता है. याद रहे कि लांगुरे के बिना कन्या पूजन अधूरा रहेगा. सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाए। उनके हाथों में मौली यानी कलावा बांधें और माथे पर रोली से टीका लगाएं.
बह्मा कुमारी आश्रम
लखनऊ
सुदीप
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