गुरुवार, 29 जून 2017

वस्त्र वशीकरण

राम राम भाइयो आज एक फिर वशीकरण प्रोयग दे रहा हो वस्त्र द्वारा
जिसका उपयोग सिर्फ आवश्यकता पड़ने पर ही करे 
किसी स्त्री या पुरुष के अधोवस्त्र या उसके बाये पैर का मौजा लेकर उसे खरल में कुटे इस समय मन्त्र जाप करते रहे इसे इतना कुटे कि उसका रेशा रेशा हो जाये इसमें शिरीन से अपनी अनामिका ऊँगली का रक्त मिलाये कुछ बून्द फिर 5 लौंग मंत्र पढ़ कर डाले  फिर इसे पुनः कुटे

0 इस प्रकार इस वस्त्र के रेशे बनाकर इसकी बत्ती बनाये और चमेली के तेल में डाल दे  फिर गेहू के आटे से भैरवी चक्र बनाये  इसके मध्यम में दीपक प्रज्वलित करे उस वस्त्र से यही पे इसकी फ़ोटो भी रखे

0 फिर ज्योत की लौ को देखते हुए मन्त्र जाप करे  5 दिन1188 मन्त्र जाप होगा 

0 6 दिन जो भी बचा सामान ह सब किसी ऐसे निम् की जड़ में दबाना ह जिसकी पूजा नही होती हो  उसी रात्रि से दूसरे पहर के बाद उस पेड़ के पास जा कर मन्त्र जाप चले गा ये 25 मिनट जाप होगा सुबह होते ही आपको यहाँ अपना पहला मूत्र त्याग करना होगा  ऐसा 21 +5 दिन करने से कैसा भी हठ वाला मनुष्य क्यों ना हो उसका पूर्ण रूप से वशीकरण हो जाता ह इसमें कोई सन्देह नही ह

मन्त्र पूर्ण नही ह समपर्क करने पर ही दिया पूर्णमन्त्र दिया जाये गा

मोहिनी कामिनी वश में कर डाकिनी ।
तन बाँधा मन बाँधा ...... बाँधा काकिनी ।।
प्रीति भीति दिति भीति डाल डाल ......।।
आये वह तोड़ बन्धन ...............हाकिनी

ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ

शुक्रवार, 23 जून 2017

तांत्रिक वनस्पति प्रोयग 2

राम राम  सभी को सुदीप का कुछ समय पहले यहाँ पे मेने एक भाई द्वारा पूछे गये वनस्पति अनुष्ठान के बारे में बता रहा जिसको ये जानना था की कोई गाव की स्त्री या तांत्रिक ओझा किस प्रकार से वनस्पतियो द्वारा पस्तकर्म करते ह या यहाँ से शक्तिया चलाते ह ये आप भी कर सकते ह बस सभी कर्मो से सुध होना जरुरी ह और यहाँ पे सबसे जरुरी भाव और विश्वास ह क्योंकि ये ही हमारी सरीर की तरंग ह जो की हमे सही दरवाजे तक पहुचाती ह  अब बात करते ह अनुष्ठान की तो 21 से 31 दिन में ही ये अनुष्ठान पूर्ण रूप से सफल हो जाए गा मगर आपका कर्म ये होना चाहिये की उस पेड़ को कुछ ना हो साथ ही आप उसकी देख भाल करते रहे
आज में आपको ऐसे रूद्र पेड़ के बारे में बताओ गा जिसको सायद आप किसी ना किसी रूप में पूजते ह  पीपल का पेड़ आज भी गावो में यह मान्यता है की पीपल पर भुत प्रेत रहते ह और ओझा स्त्री तांत्रिक आदि पीपल निम् बरगद की सीद्धि कर के उसे चलाते ह वस्तुतः 
पीपल के पत्तो से जो तरंग उतपन होती ह वे बेहद शक्तिशाली और त्रीव तीक्षण वेगवान होती ह  यह कारण है की गावो के ओझा और ऐसि औरत तन्त्र मन्त्र की सिद्धि का अभ्यास करती ह उन्हेंअक्सर अपना माध्यम बनाती ह क्योंकि इनकी तरंगो की गति से ही वे अपनी सक्ति की सिद्धि करती है इसलिए तन्त्र की गोपनीय साकेतिक भासा में इसे चलाना कहते ह
0 कोई 2 साल पुराना पेड़  की जड़ के चारो ओरथोड़ा कोड़ के मिट्टी हल्की कर दे
दायरा सात हाथ की त्रिज्या में ले इसके चारो ओर ऊची मेढ़ बना ले ताकि जल ना बह जाये 
           
अश्वत्थाय वरेण्याय सर्वैश्वर्यदायिने 
अनन्तशिवरुपाय वृक्षराजाय ते नमः

0 सोमवार के सुबह से 21 मन्त्र पढ़ते हुए  बड़े लौटा से पानी डाले पेड़ को प्रणाम करके घर लौट जाए ऐसा सात दिन तक करे आठवे दिन सोमवार को ढाई हाथ भूमि नापकर उत्तर की ओर मुख करके आसन लगाये और दक्षिण तरफ की भूमि गाय के गोबर से लिप ले जड़ में पानी इस दिन भी दे  यहाँ पे आपको अपनी श्रद्धा अनुसार धुप दिप करना ह और चावल आदि का भोग लगाना ह 

0 अब प्रतिदिन रात्रि के पहर से साधना चालो होगी  और मन्त्र जाप 21 रात्रि तक 1188 मन्त्र का जाप अनिवार्य ह और रोज सुबह बीते हुए दिन जैसे पानी देना ह

0 मन्त्र अधूरा ह मागने पर मिलेगा पर पूर्ण रूप से जानकारी देने पर ही मन्त्र दिया जाए गा

ॐ (यहां पे ॐ की ध्वनि लम्बी साँस तक खिची जाए गी) नमः पीपल: देवदूत .....ममपठच्छतिय..... आगछसः.... देवदूत 

0 21रात्रि की साधना करने के बाद इस पेड़ पर रहने वाली सात्विक रूप के देव के सेवक  आप से सिध्द हो जाए गे  एक  बार मन्त्र सिद्ध होने पर वही पीपल आपका मित्र बन जाएगा  आप उसे लगातार भले ही थोडासा पानी देते रहे 

0 इससे आप जब भी जो भी कामना करेगे वह अपनी तरंगो के द्वारा आपके लिए अनुकूल वातावरण बनाये गा और किसी भी प्रकार से मन्त्र शक्तिकम हो रही हो तो ये उसको  अपनी तरंगो से मेल करके उसको शक्तिशाली बनाये गा

अब इसके प्रोयग  इस प्रकार ह

1 इस वृक्ष के पास बैठकर सनिवार इतवार जिस नारी के बाल या अधोवस्त्र का अपनी अनामिका ऊँगली के रक्त के साथ 108 मन्त्र से हवन करेगे  वह आपके वश में होगी

2 इस व्रक्ष की पूजा जिस नारी या पुरुष से करवाये गे वह् आपके वश में होगा

3 इस की जड़ में जिस नारी पुरुष के बाल नख मासिक रक्त अधोवस्त्र गाडगे वह् आपके प्रति वशीभूत होगा (महाअभिमंत्रित) करने पर

4 यहाँ बैठकर केवल ध्यान लगाकर किसी की नारी पुरुष की कामना करेगे और आपका मन उस पर पूर्ण एकागर  वह् आपके वश में होगा

0 यहां किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रोयग नही किया जाए गा चाहे वो खाद ही क्यों ना हो

0 ऐसे ही इस पेड़ द्वारा कई कार्य होते ह यहाँ पर मुझसे वशीकरण के बारे में पूछा था तो बता दिया  मगर  एक ही पेड़ द्वारा सभी पस्तकर्म कर सकते ह बस विधि और मन्त्र में कुछ अंतर है

राम राम
ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ

गुरुवार, 15 जून 2017

तांत्रिक वनस्पति प्रोयग 1

राम राम भाइयो मै ता0 सुदीप आज फिर कुछ दिनों बाद आज एक दिव्य सिद्धि प्रोयग लाया हो जिसको आप लोग कुछ समय देकर सफल कर सकते ह  मगर एक बात जरूर कहो गा की मेरे पास जितने फोन आते वो सब मेल करवाने वाले आते ह की हमारा इनसे मेल करवा दो उनसे मेल करवा दो  अब मेरी सोच यहा आ कर रुक जाती की बस जिंदगी में तरिकी नही मनुष्य को सिर्फ दो जोड़े का मेल चाहिये ना उसको तरिकी चाहिए ना ही कुछ लक्ष्य वो सिर्फ माया में घूमता रहता ह यहाँ पे मनुष्य जो की कठिन प्रकति का रूप था अब वो किसी ना किसी के भरोसे पे जीता रहता ह और जब वो चीज उससे हठ जाती ह तो जैसे बादल फटने पर सारा पानी फ़ैल जाता ह उसी प्रकार मनुष्य भी अपने दिमाग में बहुत रूद्र चीजे भर लेता ह और वो कर्म वो कर ही देता ह जिसके कारण उसका अहित होता ह। यहाँ पर मै आपको ये समझाने की कोशिश कर रहा हो की जादा लगाव उसको गिरा देता ह या उच्च रास्ते पर पहुँचा देता ह मनुष्य जिस तत्व का ह उसको उसी प्रकार से कर्म करना चाहिये अब बात करते ह  अपने कर्म की तो एक भाई ने बहुत झाहलत द्वारा मुझसे बात पूछ ली की गाव में जो औरत होती ह वो पेड़ द्वारा शक्तियो को कैसे चलाती ह और वो पस्तकर्म के सारे कर्म एक पेड़ द्वारा कैसे कर लेती ह तो  उसको मेने अपने गुरुदेव का नाम ले कर बताया की
यदि हम किसी वनस्पति की सगरचना पर गौर करे तो हम यह देखकर विस्मय होगा की उसका भी सारीरिक आकृति हमारे ही जैसी होती ह हमारे जहाँ हाथ होते ह जहाँ पैर होते ह और कमर की हड्डी होती ह वहां ऊपरी जड़े होती ह जानवर की पूछ की भाति उनकी भी जड़ निचे तक चली जाती ह और वहा बालो के गुच्छे की तरह जड़े होती ह सिर की कोशिकाओ के स्थान पर उसके पत्ते होते ह
इनकी जो जड़े ऊपर होती हे वे ही धनात्मक हे और तमाम तत्वों को वो ही खीच कर पौधे तक पहुचाति ह जो जड़ निचे चली जाती है वह वह तन्त्र विद्या के अनुसार श्ररणात्मक होती ह 
इनके बिच वाली जड़ इनके सरीर के गंदे अवशेष रूप तरंगो को बाहर करती ह और किनारे वाली जड़े जल की कमी होने पर जल शोषित करके ऊपर पहुचाति है।

० भूमि के समान्तर जो जड़े होती ह  पौधे को आवश्यक पोषण तत्वों की आपूर्ति उन्ही से होती ह

0सभी जीवो की रात के समय बायीं और दिन के समय दायीं नासिका सक्रीय रहती है यह पेड़ पौधे में भी होती ह  यही कारण है उसमे रात में निकलने वाली गैस में अंतर हो जाता है इनके तरंगो में मौसम और समय के अनुसार परिवतन होता रहता ह 

०यह परिवर्तन पत्र्येक जिव में होता है इसलिए जब किसी पेड़ को आधार बनाकर तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता तो कामना  या देवी देवता के अनुरूप समय का चुनाव किया जाता ह    

किसी भी तंत्रक्रिया को करने वाले की उस पर आस्था होना आवश्यक है क्योंकि आस्था के बिना तरंगों का केन्द्रीयकरण नही होता और तन्त्र के प्रोयग सफल नही होते  इसलिए यहां हमने पौधे की तांत्रिक सगरचना और उसके रहशय को बताया है  ताकि प्रोयगकर्ता के मन में अपने प्रोयगो के प्रति कोई शंका ना रहे

०अगली पोस्ट में आपको विभिन्न तांत्रिक पेड़ और उनकी रूद्र शक्तियो और इनके प्रोयग के बारे में बताये गे

ता0सुदीप
बह्ममा कुमारी आश्रम
लखनऊ