राम राम भाइयो मै सुदीप कुमार आप को आज एक विषय बता रहा हो जिससे लोग जादा परिचित नही ह मगर ये बात जानना सभी के लिए बहुत जरुरी ह जिसके के बगैर तन्त्र मन्त्र योग साधना सब बेकार ह बहुत लोग उर्ग साधना उठा लेते ह किन्तु सफल नही होती बल्कि उनको दंड भी झेलना पड़ता ह किसी ना किसी रूप मै बात करते ह विषय पे तो कुछ समय पहले किसीने रूद्र की साधना मांगी थी मगर में सोच रहा था की भाई को पता भी होगा की रूद्र अपने सरीर में कहा स्थित ह और कैसे इस ऊर्जा को खोला जाये और ईन तरंगो को कैसे पहचान में लाये साथ ही इन तरंगो को कैसे समझे आज में आपको इसी विषय में बताओ गा मगर 10 मिनट में मेरी पोस्ट चोरी हो जाए गी फेसबुक व्हाट्सऐप पे लग जाए गी किन्तु ये उन साधक केपास पाउच जाए गी जो अपने आप को निर्बल समझ कुछ नही करते ह दुसरो के बरोसे रहा करते ह सय्याद ये पोस्ट पढ़ कुछ कर सके बात करते ह रूद्र की तो शास्त्र मै रूद्र का वर्णन महादेव को कहा गया ह क्योंकि उनके अंदर विभिन्न प्रकार की शक्तिया ह जो कुछ सोम्य ह और कुछ रूद्र ह जबरूद्र शक्ति जागृत होती ह तो प्रलय आता ह जिसके पड़माडीत खुद कामदेवह मगर ये जितने ही रूद्र ह उतने ही सोम्य भी ह इसिलिय कामदेव को कृष अवतार भी कहा गया ह मगर ये हमारा विषय नही ह बात करते ह रूद्र तरंग की तो पृथ्वी पे रहने वाले जिव जन्तु या पशु पक्षी या मनुष्य या हवाजल ये सभी इस पृत्वी से कुछ ना कुछ लेते ह और इनको कुछ ना कुछ देते ह सही मायने में कहा जाये की जीवन धन और ऋण रूप में हो जाता ह बात ले लेते ह सूर्य और पृथ्वी की तो सूर्य से जो ऊर्जा निकलती ह वो ऋण ऊर्जा तरंग कहलाती ह क्योंकि वो हमे कुछ ना कुछ दे रही ह यानी पृथ्वी हमारी धन हुई क्योंकि ये उन तरंग को अवसेषित कर रही ह अब बातकरे सरीर के तन्त्र की तो मेंन 8 कुण्डलिया बताई गयी ह इस तन्त्र में जिसका जागरण मेदिनेशन वाले करवाते ह और इन 8 कुंडलियो से 8 प्रकार की ऊर्जा निकलती ह मगर पहचान कैसे करे तो हमारे पुराने ऋषि मुनि ने पृथ्वी को समझ कर एक यन्त्र बनाया जो हमे बता ता ह की सरीर में कोण सी ऊर्जा कहा बस्ती ह उन्होंने इसका नाम कछुआ दिया क्योंकिपृत्वी ना ही गोल ह ना अंडाकार इस लिए इसको चित्र द्वारा समझते ह जबहम ध्यान या योग करते ह तो ये ऊर्जा हमारे सरीर से निकल हमारे मस्तिक में पाउच जाती ह जिससे अपने सरीर की तरंग द्वारा 1 शिव लिंग का निर्माण करा ही देती ह यहाँ के चित्र में आपको उन तरंग के नाम कहता हो जो सोम्य भी ह और रूद्र भी अब बात करते ह रूद्र की तो चित्र में 3 नंबर पे रूद्र ह जो हम सोचते ह समझते ह कार्य करते ह वो इन्ही तरंग द्वारा होता ह और 0 से 3 तक इसका मेन संचालक ही रूद्र बिंदु पेहोता ह या ये कहे की सरीर की 1 प्रकार की गाडी का हैंडिल यही ह जो सोचने समझने का कार्य करवाता ह और यही तरंग ऊर्जा उर्ग रूप में पउच कर रूद्र रूपी शक्तियो को अवसेषित कर लेती ह यानी कहे तो अघोर वाममार्गी रूद्र योगी इसको ही आज्ञा तरंग कहते ह क्योंकि ये पुरे सरीर का संचालक ह अब बात करते ह 5 वे तरंग की तो विष्णु रूपी यानी पालनहार जब हमारी आँख नाख जब किसी वास्तु को देखती या सुनती ह या किसी प्रकार का भाव महसूस करती ह ये विष्णु तरंग उसको अवसेसित कर कोमल रूप भाव वाले चौथे चक्र पर फेकती ह इस बिंदु पे क्रिया होने लगती ह और सरस्वती तरंग उतपन होने लगती ह जिससे उस को कोमल भाव की अनुभूति होने लगती ह और उसी तरंग को 1 नम्बर यानी दिमाग के चक्र पर भेजती ह तो ये तरंग उस भाव का विश्लेषण करा ती ह और जब ये तरंग रूद्रपे पहुचती ह तो उस फूल की या उस गंध की पहचान रूद्र तरंग कर देती ह ये सारी क्रिया छन भर में हो जाती ह जिसका हम लोग पता नही करते 1 बातसे कहते ह जेसे गिटार पर उंगलिया चलती या जेसे कम्प्यूटर का मोनिटर1 के बाद 1 बिंदु को सक्रीय करता उसी प्रकार आज्ञाचक्र की तरंग तरंगो को 1 सेकेण्ड के 100 हिस्से में दर्जन ऊर्जा बिंदु को स्पर्श करके क्रिया के लिए ऊर्जा उतपन करती ह इस प्रकार वो कोई भी जिव हो अपनी संपूर्ण क्रिया करता ह जब हम सोते ह तो ये आज्ञाचक्र हीअपनी गति रोक लेता ह इस आज्ञाचक् के बिगड़ने पे ही मनुष्य पागल हो जाता ह इसीलिए जब कोई साधक मन्त्र तन्त्र की पहली सीधी चड़ता ह तो उसे त्राटक करवाया जाता ह जिससे वो अपनी ऊर्जा को पहचान ले साथ ही अपने सरीर को साधता ह जिससे उसे सिद्धि आदि मिलती ह जब कोई रूद्र साधना आदि करता ह तो पृथ्वी पे घूमने वाली शक्ति ही इसका भोग करती हयानी ऋण या धन सायद अब आप लोग परिचित हो गए होंगे रूद्र से। राम राम
सुदीप कुमार
ब्ह्मम कुमारी आश्रम लखनऊ
शिव की ज्योति से नूर मिलता है,सबके दिलों को सुरूर मिलता है; जो भी जाता है #महाकाल के द्वार,कुछ न कुछ ज़रूर मिलता है! शिव की बनी रहे आप पर छाया,पलट दे जो आपकी किस्मत की काया; मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में,जो कभी किसी ने भी न पाया!
रविवार, 24 जुलाई 2016
सरीर एक यन्त्र
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